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ग्रेड -3 में अवास्कुलर नेक्रोसिस का नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट

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रोगी का नाम: श्री संतोष कुमार
उम्र : 39 साल
पेशे: निजी क्षेत्र के कर्मचारी
डायग्नोसिस की तारीख: मई वर्ष 2016
हमारे साथ नामांकित: जुलाई 2017
उपचार की कुल अवधि: 2 साल
चिकित्सा पूरी हो चुकी है।

अत्यधिक मात्रा में शराब लेने वाला रोगी , जिन्होंने कई वर्षों तक लगातार शराब की भारी मात्रा लेने से अपने कूल्हों को क्षतिग्रस्त कर लिया।संतोष जी के कूल्हे में अचानक दर्द शुरू हुआ। वे मई 2016 में दोनों हिप जॉइंट के एवास्कुलर नक्रोसिस के साथ डायग्नोस किये गए ।

सुखायु में आने से पहले, किसी ने संतोष जी को शराब बंद करने के लिए सुझाव नहीं दिया। जिस कारण से बीमारी की प्रगति बनी रही। और उनको हिप जॉइंट को बदलने के लिए कहा गया था।

MRI निष्कर्ष: ग्रेड III का द्विपक्षीय हिप अवास्कुलर नेक्रोसिस

इलाज से पहले मरीज की हालत

  • रोगी की लड़खड़ाती चाल
  • पैरों को एक साथ करने से करीब नहीं आ रहे थे
  • हिप जोड़ों में तेज दर्द
  • चलने में लंगड़ाहट
  • रात के दौरान दर्द के कारण नींद ना आना
  • रोगी बैसाखी के साथ चल रहा था
  • हिप रोटेशन:
    • दायाँ 10 डिग्री
    • बायाँ 20 डिग्री
  • अब्डक्शन की डिग्री
    • दायाँ 40 डिग्री
    • बायाँ 20 डिग्री
  • वास पेन स्कोर
    • 8

उपचार के बाद स्थिति

  • रोगी चलने सामान्य रूप से
  • पैर बंद कर सकते हैं।
  • हल्का दर्द वह भी अत्यधिक गतिविधि करने पर
  • रोगी सामान्य रूप से चल सकता है
  • सोने पर कोई दर्द नहीं
  • अपना ऑफिस सुचारु कर दिया
  • नियमित रूप से कार्य करना
  • Working regularly
  • हिप रोटेशन:
    • दायाँ 70 डिग्री
    • बायाँ 80 डिग्री
  • अब्डक्शनकी डिग्री
    • दायाँ 80 डिग्री
    • बायाँ 60 डिग्री
  • वास पेन स्कोर
    • 2

शराबी रोगियों के हिप अवास्कुलर नेक्रोसिस के गैर सर्जिकल उपचार का मुख्य कार्य शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करना है। चूंकि यह रोगी शराबी था इसलिए पंचकर्म की मुख्य क्रिया विरेचन की गईं।

विरेचन से वात में वृद्धि होई जिससे दर्द में वृद्धि हुई। अगला पंचकर्म उपचार बस्ती थी। मज्जा और वसा (अस्थि मज्जा और पशु वसा) इस उपचार में दिए गए थे। जिससे इस मरीज की जांघ की हड्डी के अस्थि मज्जा में शोथ की कमी में मदद होइ।

अवास्कुलर नेक्रोसिस में रेडियोलॉजिकल परिवर्तन

reversal of AVN
एक्सरे में परिवर्तन स्पष्ट हैं

जब हम चीजों को स्पष्ट कर सकते हैं, उसके बाद ही हम दावा कर सकते हैं कि हम हालत के लिए इलाज किया है।

विरेचन के बाद वात में वृद्धि होइ जिससे दर्द में वृद्धि हुई। अगला कदम बस्ती था । उन्होंने मज्जा और वासा के साथ कर्मा बस्ती दिया गया था। इसलिए हम मरीज की जांघ की हड्डी गर्दन के अस्थि मज्जा शोथ को कम कर सके। इसने अच्छी तरह से काम किया।संतोष जी को बस 30 दिनों में सुधार हुआ।